बाइक ड्राइवरों पर 5% जीएसटी महिलाओं की गरिमा को सबसे ज़्यादा ठेस क्यों पहुंचा रहा

punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 04:47 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल।  भारत लगातार बेरोजगारी से जूझ रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में, डिजिटल गिग इकोनॉमी ने सुविधाजनक, आत्मसम्मान और ईमानदारी से जीविका कमाने का अवसर प्रदान करना शुरू कर दिया है, यहां तक कि औपचारिक श्रम बाज़ार से बाहर रखे गए लोगों के लिए भी आज ढेरों अवसर हैं। उदाहरण के लिए, कई महिलाओं ने राइड-हेलिंग या डिलीवरी प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से भुगतान सहित काम शुरू किया है। लेकिन एक गैर-जरूरी और अचानक लगाया गया टैक्स प्रावधान इन सबके लिए ख़तरा बन गया है, क्योंकि जीएसटी काउंसिल की सब्सक्रिप्शन या एसएएएस मॉडल का उपयोग करने वाले ड्राइवरों के सवारी किराए पर सीधे-सीधे 5% जीएसटी लगाने की तैयारी कर ली गई है।

यह समझने के लिए कि यह क्यों महत्वपूर्ण है, इस सितंबर में सुधारों को कैसे प्रस्तुत किया गया, इस पर विचार करें। 56वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक, प्रधानमंत्री मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर "नेक्सट जेनरेशन के जीएसटी सुधारों" के वादे पर अमल करते हुए, कर स्लैब को सरल बनाने, स्वास्थ्य और जीवन बीमा जैसी आवश्यक वस्तुओं पर दरों में कटौती करने और रोज़मर्रा के उपभोग पर बोझ कम करने के लिए आगे बढ़ी। ये बदलाव जीवन को और अधिक किफ़ायती बनाने के लिए हैं, खासकर हाशिए पर पड़े और महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग के लिए किए जा रहे हैं।

लेकिन एसएएएस मॉडल पर चलने वाले ड्राइवरों के सवारी किराए पर सीधे जीएसटी लगाने का प्रस्ताव उल्टा असर डालता है। इस मॉडल के तहत, ड्राइवर प्लेटफ़ॉर्म को निश्चित सब्सक्रिप्शन शुल्क देते हैं; वे प्रति सवारी कमीशन नहीं देते। सब्सक्रिप्शन-आधारित "एसएएएस मॉडल" पर चलने वाले ड्राइवरों के लिए, यह सिर्फ़ अतिरिक्त पैसे कमाने का ज़रिया नहीं है; यह एक जीवन रेखा है। बड़ी संख्या में बाइक वर्कर, खासकर महिलाएं, पहले बेरोज़गार थीं। 13% महिलाओं के लिए, यह प्लेटफ़ॉर्म वर्क लेबर मार्केट में उनका एंट्री प्वाइंट रहा है, जो उन 2% पुरुषों के बिल्कुल विपरीत है जो पहले बेरोज़गार थे। यह सिर्फ़ नौकरी की बात नहीं है; यह एक ऐसे अवसर को हासिल करने की बात है जो पहले मौजूद नहीं था।

कई लोग इस एसएएएस मॉडल पर भरोसा करते हैं क्योंकि यह ज़्यादा कमाई और आसान योजना बनाने में मदद करता है। हर सवारी पर 5% जीएसटी का भुगतान करने की बाध्यता कम कमाई वालों पर सबसे ज़्यादा असर डालेगी। इनमें से ज़्यादातर सवारी ऐसे लोगों द्वारा की जाती हैं जिनकी आय पर फिलहाल कोई आयकर नहीं लगता। यह सिर्फ़ नौकरशाही की उलझदानियों से आगे की चीज है जो कि सम्मान के लिए एक ख़तरा है।

इसके अलावा, असंगत कर फैसले अस्थिरता को बढ़ाते हैं। जबकि एसएएएस मॉडल के तहत कुछ प्लेटफार्मों को पहले कर्नाटक के एएआर निर्णयों के तहत अलग तरह से व्यवहार किया गया था, जिसमें कुछ को किराए पर जीएसटी का भुगतान करने की आवश्यकता थी और अन्य को छूट दी गई थी, हालिया काउंसिल सुधारों में कुछ भी इस अनिश्चितता को स्पष्ट या हल नहीं करता है।
अब जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक जल्द ही होने जा रही है, इसलिए एसएएएस के तहत सवारी किराया जीएसटी की पूर्ण स्पष्टता और छूट के लिए जोरदार ढंग से तर्क के साथ सामने रखना महत्वपूर्ण है। सरकार का निर्देश सही रूप से आसान, सरल और बोझ कम करने का रहा है। बाइक-वर्कर सवारी किराए पर 5% का एकमुश्त शुल्क न केवल अनुचित होगा बल्कि उस सोच के साथ विश्वासघात भी करेगा, जिसमें हर किसी को अपनी छोटी-मोटी आय के साथ सम्मान से जिंदगी जीने का हक दिया गया है। हमारे नीति निर्माताओं को यह चुनना होगा कि लाखों लोगों के अस्तित्व पर कर लगाया जाए या उनको कर मुक्त होकर अपनी जिंदगी जीने का मौका दिया जाए।


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Content Editor

Varsha Yadav

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