बोर्डरूम और आत्मिक शांति के बीच संतुलन: गौरव सक्सेना की लीडरशिप में एक शांत क्रांति

punjabkesari.in Wednesday, Jun 04, 2025 - 05:34 PM (IST)

नई दिल्ली/टीम डिजिटल। आज के तेज और तनावभरे कॉर्पोरेट माहौल में, जहां रफ्तार और नतीजे सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं, गौरव सक्सेना एक ऐसे लीडर के रूप में सामने आते हैं जो सफलता की परिभाषा को एक नया रूप दे रहे हैं। उनका तरीका ऐसा है जिसमें लीडरशिप की जिम्मेदारियों को आत्मिक अनुशासन और संतुलन के साथ जोड़ा गया है।

गौरव आध्यात्मिकता और रणनीति को अलग-अलग नहीं मानते। उनके लिए ये दोनों एक-दूसरे से जुड़ी ताकतें हैं, जो बेहतर फैसले लेने और दीर्घकालिक सोच को आकार देने में मदद करती हैं। इसी सोच ने न सिर्फ उनके निजी जीवन को बदला है, बल्कि उनके आसपास की कार्यसंस्कृति को भी। अब उनके नेतृत्व का आधार है—दबाव नहीं बल्कि उपस्थिति, हुक्म नहीं बल्कि सहयोग, और तात्कालिक जीत नहीं बल्कि स्थायी विकास।

उन्होंने जो माहौल तैयार किया है, वह सच्चाई, सहानुभूति और सोच-समझकर किए गए कार्यों को बढ़ावा देता है—ऐसी खूबियाँ जो आमतौर पर कॉर्पोरेट लीडरशिप से नहीं जोड़ी जातीं, लेकिन आज की दुनिया में बेहद ज़रूरी हो गई हैं। उनकी टीम उन्हें सिर्फ एक लीडर नहीं, बल्कि एक स्थिर और समझदार मार्गदर्शक के रूप में देखती है—जो तेज़ फैसलों में भी संतुलन बनाए रखते हैं और मुश्किल समय में भी शांति का माहौल बनाए रखते हैं।

यह अंदर से बाहर की ओर जाने वाला नेतृत्व का तरीका, एक ऐसा बिज़नेस बना रहा है जो सिर्फ फायदे वाला नहीं, बल्कि उद्देश्यपूर्ण भी है। जब बाकी लोग ट्रेंड्स के पीछे दौड़ रहे होते हैं, गौरव शांति और विश्वास के साथ आगे बढ़ते हैं—ये साबित करते हुए कि सबसे गहरी और असरदार क्रांतियाँ अक्सर भीतर से शुरू होती हैं।


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Content Editor

Diksha Raghuwanshi

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